देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राजपुर रोड स्थित उत्तराखण्ड वन विभाग मुख्यालय में ई-आफिस कार्यप्रणाली का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उन्होंने घोषणा की कि, चमोली और पिथौरागढ़ में भालुओं के लिए एक-एक रेस्क्यू सेंटर बनाया जायेगा। साथ ही बंदरों के लिए चार रेस्क्यू सेंटर बनाने का प्रस्ताव भी भारत सरकार को भेजा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, डिजिटल कार्यप्रणाली की ओर हम जितने तेजी से बढ़ेंगे, उतनी तेजी से जन समस्याओं का निदान होगा। राज्य में ई-कैबिनेट की शुरूआत की गई है। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को ई-विधानसभा बनाया जा रहा है। अब तक 37 आफिस, ई-आफिस प्रणाली से जुड़ चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जंगली जानवरों को आहार की उपलब्धता अगर जंगलों में ही पूरी होगी तो वह आबादी वाले क्षेत्रों में कम आयेंगे। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष हरेला पर्व पर एक करोड़ फलदार वृक्ष लगाये जायेंगे। इसके लिए वन विभाग द्वारा अभी से तैयारियां शुरू की जाय। ये फलदार वृक्ष जंगलों में भी लगाये जायेंगे।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पिरूल कार्य को और विस्तार देने की जरूरत है। पिरूल एकत्रीकरण पर राज्य सरकार द्वारा 02 रूपये प्रति किग्रा और विकासकर्ता द्वारा 1.5 रूपये प्रति किग्रा एकत्रकर्ता को दिया जा रहा है। इसका उपयोग ऊर्जा के लिए तो किया ही जायेगा, लेकिन इसका सबसे फायदा वन विभाग को होगा। वनाग्नि और जंगली जानवरों की क्षति को रोकने में यह नीति बहुत कारगर साबित होगी। स्थानीय स्तर पर गरीबों के लिए स्वरोजगार के लिए पिरूल एकत्रीकरण का कार्य एक अच्छा माध्यम बन रहा है।