किच्छा: शहीद देव बहादुर का पार्थिव शरीर तीन दिन बाद आज उत्तराखंड पहुंचा। सेना के वाहन से ऊधमसिंहनगर पहुँचते ही लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सड़क के दोनों ओर लोगों की लंबी कतारें थीं, तो वहीं कई लोग घर की छतों से ही शहीद को अंतिम विदाई देने उमडे। लोग शहीद की एक झलक पाने के लिए लालायित थे। शहीद देव बहादुर की अंत्येष्टि कनकपुर और राघवनगर के मध्य बने श्मशान घाट पर होगी। लेह-लद्दाख से जुडी चीन सीमा पर देव बहादुर महज 24 साल की उम्र में शहीद हुए।
इससे पहले लद्दाख से सेना के वायुयान से शहीद की पार्थिव देह दिल्ली लाया गया। बुधवार सुबह शहीद देव बहादुर का पार्थिव शरीर लेकर सेना के जवान लालपुर पहुंचे। लालपुर से सैकड़ों की संख्या में तिरंगा लेकर बाइक सवार युवाओं ने देव बहादुर अमर रहे के नारे लगाए। यहां से शहीद का पार्थिव शरीर उनके गांव गौरीकला पहुंचा, जिसके बाद प्राथमिक स्कूल में अंतिम दर्शन के लिए शहीद की पार्थिव देह रखी गई।
किच्छा गौरीकलां निवासी शेर बहादुर थापा के पुत्र देव बहादुर शहीद देव बहादुर महज चार साल पहले 2016 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वह भारतीय सेना के 6/1 गोरखा रेजिमेंट में थे। 18 जुलाई को रात को गश्त के दौरान जवान देव बहादुर का पैर जमीन पर बिछी डायनामाइट पर पड़ गया था। इस दौरान धमाके में वह शहीद हो गए थे। शहीद जवान के बड़े भाई किशन बहादुर भी भारतीय सेना में है। वे इस वक्त ग्वालियर में तैनात हैं। शहीद देव बहादुर तीन भाई और एक बहन में दूसरे नम्बर के थे।