देहरादून: 26 जुलाई यानी आज के दिन हर साल की तरह इस साल भी “कारगिल विजय दिवस” मनाया जा रहा है। आज से 21 साल पहले 26 जुलाई 1999 के दिन भारत ने कारगिल युद्ध में पकिस्तान को धूल चटा दी थी। इस युद्ध में देश के लिए जान न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों के सम्मान में हर साल इस दिन को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस युद्ध में देशभर के सैनिकों ने शहादत दी, लेकिन उत्तराखंड के सपूतों के बिना कारगिल की वीरगाथा अधूरी है। उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां के तो लोकगीतों में भी शूरवीरों की वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है। देश पर कुर्बान होने वाले जांबाजों में उत्तराखंड के वीरों का कोई सानी नहीं हैं। आज भी उत्तराखंड के हर युवा का सपना देश की सेना में जाना ही है। यही वजह है कि जब भी जवानों की शहादत को याद किया जाता है तो उत्तराखंड के वीरों के अदम्य साहस के किस्से हर जुबां पर होते हैं।
कारगिल युद्ध में अति दुर्गम घाटियों व पहाड़ियों में देश की आन-बान और शान के लिए 526 जवान शहीद हो गये थे। इनमे प्रदेश के सर्वाधिक सैनिकों ने कारगिल युद्ध में शहादत दी। इनमें 75 जाबाज अकेले उत्तराखंड से थे। एक छोटे राज्य के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। शहादत का यह जज्बा आज भी पहाड़ भुला नहीं पाया है। यहां शहीदों के कई पार्थिव शरीर एक साथ पहुँचने से पूरा पहाड़ अपने लाडलों की याद में रो पड़ा था। किसी मां ने अपना बेटा खोया तो किसी पत्नी ने अपना सुहाग, कई मासूमों ने अपना पिता खोया तो किसी ने अपना जिगरी यार। फिर भी न ही देशभक्ति का जज्बा कम हुआ और न ही दुश्मन को उखाड़ फेंकने का दम।
उत्तराखंड के वीर जवानों को कारगिल युद्ध में मिले वीरता पदक
महावीर चक्र (02) |
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वीर चक्र (09) |
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सेना मेडल (15) |
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मेंशन इन डिस्पैच (11) |
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उत्तराखंड के किस जनपद से कितने शहीद
देहरादून | 28 |
पौड़ी | 13 |
टिहरी | 08 |
नैनीताल | 05 |
चमोली | 05 |
अल्मोड़ा | 04 |
पिथौरागढ़ | 04 |
रुद्रप्रयाग | 03 |
बागेश्वर | 02 |
ऊधमसिंह नगर | 02 |
उत्तरकाशी | 01 |