हरिद्वार: मकर संक्रांति के अवसर पर आज कोरोना संक्रमण और ठंड व कोहरे पर आस्था भारी पड़ी। लोगों ने भारी तादाद में हर की पैड़ी पर गंगा में डुबकी लगाई। आज सुबह तड़के ही लोग हर की पैड़ी भारी तादाद में पहुंचने शुरू हो गए थे। श्रद्धालुओं ने हर की पैड़ी पर गंगा स्नान करने के साथ-साथ अपने देवी-देवताओं को भी स्नान कराया और ढोल धमाल साथ हर की पैड़ी पर पहुंचे। उत्तरकाशी, देवप्रयाग, ऋषिकेश समेत अन्य जगहों पर गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। हालांकि, कोविड-19 गाइडलाइन के चलते इनकी संख्या पिछले कुंभ स्नान के लिहाज से कम है पर, आस्था में कहीं कोई कमी नहीं दिखी।
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान से मोक्ष की प्राप्ति
गंगा स्नान के बाद तिल उड़द की दाल की खिचड़ी दान की और मांगलिक कार्य संपन्न कराए। आज सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश कर गए हैं और इसी के साथ आज से शुभ कार्य शुरू हो गए हैं। हर की पैड़ी पर गंगा स्नान करने के लिए भारत के विभिन्न प्रांतों राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के अलावा नेपाल से भी बड़ी तादाद में लोग गंगा में स्नान करने आए। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति पर गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कहाँ किस रूप में मनाते आज का दिन
पौष मास में सूर्य के मकर राशि में आने पर तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। मकर संक्रांति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं, उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में इस पर्व उत्तरायणी के रूप में मनाते हैं।
कुंभ 2021 की रिहर्सल के तौर पर मकर संक्रांति स्नान
वहीं मकर संक्रांति पर हो रहे साल के पहले पर्व स्नान को कुंभ 2021 की रिहर्सल के तौर पर देखा जा रहा है। हिंदुओं का सबसे बड़ा मेला और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कुम्भ इस साल हरिद्वार में आयोजित होगा।
कुम्भ इस साल मात्र डेढ़ महीने का होगा
कुंभ में शाही स्नान का का भी विशेष महत्व होता है। कुंभ मेले में कुल चार शाही स्नान होंगे। पहला शाही स्नान 11 मार्च को महाशिवरात्रि के मौके पर होगा तो दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पर, तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल को संक्राति के अवसर पर और चौथा शाही स्नान 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा के दिन होगा। कोरोना की वजह से साढ़े तीन महीने तक चलने वाला कुम्भ इस साल मात्र डेढ़ महीने का होगा।
कुम्भ वर्ष 2021 की प्रमुख स्नान तिथियां:
- मकर संक्रांति 14 जनवरी गुरुवार
- पौष पूर्णिमा 28 जनवरी गुरुवार
- मौनी अमावस्या 11 फरवरी गुरुवार
- फाल्गुन संक्रांति 12 फरवरी, शुक्रवार
- वसंत पंचमी 16 फरवरी, मंगलवार
- आरोग्य रथ सप्तमी 19 फरवरी, शुक्रवार
- भीमाष्टमी 20 फरवरी, शनिवार
- माघी पूर्णिमा 27 फरवरी, शनिवार
- महाशिवरात्रि 11 मार्च गुरुवार ( प्रथम शाही स्नान)
- फाल्गुन शनैश्चरी अमावस्या 13 मार्च शनिवार
- चैत्र संक्रांति 14 मार्च, रविवार
- महाविषुव दिवस 20 मार्च शनिवार
- वारुणी पर्व 9 अप्रैल शुक्रवार. इस दिन सुबह 3 बजकर 16 मिनट से 4 बजकर 57 मिनट तक स्नान करना ग्रहण में स्नान के समान पुण्यदायी होगा।
- चैत्र अमावस्या 12 अप्रैल (सोमवती अमावस्या) (दूसरा शाही स्नान)
- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 13 अप्रैल मंगलवार (चैत्र नवरात्र, नव संवत् आरंभ)
- मेष संक्रांति पुण्यकाल 14 अप्रैल बुधवार (तीसरा और प्रमुख शाही स्नान)
- श्रीरामनवमी 21 अप्रैल, बुधवार
- चैत्र पूर्णिमा 27 अप्रैल, मंगलवार (अंतिम शाही स्नान)
- वैशाख भौमवती अमावस्या 11 मई
- अक्षय तृतीया परशुराम जयंती 14 मई शुक्रवार
- ज्येष्ठ संक्रांति 14 मई शुक्रवार
- आद्य गुरु शंकराचार्य जयंती 17 मई सोमवार
- श्रीगंगा जयंती 18 मई मंगलवार
- 24 वैशाख पूर्णिमा 26 मई बुधवार (कुंभ वर्ष का अंतिम स्नान)
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