देहरादून: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) देहरादून ने 5 उप निरीक्षकों के स्थानांतरण किये हैं।
देखें सूची:
1- सब इंस्पेक्टर दीपक गैरोला को थाना सहसपुर से चौकी प्रभारी जोगीवाला थाना नेहरू कॉलोनी बनाया गया है।
2- सब इंस्पेक्टर जैनेंद्र सिंह राणा को थाना नेहरू कॉलोनी से चौकी प्रभारी बाईपास थाना नेहरू कॉलोनी बनाया गया है।
3- सब इंस्पेक्टर ज्योति उनियाल को थाना रायपुर से चौकी प्रभारी नेहरू कॉलोनी, थाना नेहरू कॉलोनी बनाया गया है।
4- सब इंस्पेक्टर कमलेश प्रसाद गौड़ को कोतवाली विकासनगर से चौकी प्रभारी नालापानी कोतवाली डालनवाला बनाया गया है।
5- सब इंस्पेक्टर राकेश पुंडीर को कोतवाली नगर से चौकी प्रभारी आईटी पार्क, थाना राजपुर बनाया गया है।
उत्तराखंड: यहां इंस्पेक्टर को कोतवाल बनाने पर एसएसपी से जवाब तलब, जानिए क्या है पूरा मामला
देहरादून: उत्तराखंड में इंस्पेक्टर महेश जोशी की ऋषिकेश कोतवाल के रूप में ताजपोशी विवादों में आ गई है। इंस्पेक्टर महेश जोशी के खिलाफ जांच चल रही थी, उन्हें अचानक चार्ज दिए जाने पर पुलिस महकमे में ही हैरानी जताई जा रही है। शनिवार को डीआईजी नीरू गर्ग ने मामले को विवादित बताकर जिला पुलिस से जांच रिपोर्ट मांगी। डीआइजी गढ़वाल रेंज नीरू गर्ग का कहना है कि निरीक्षक के खिलाफ 14ए के तहत कार्रवाई चल रही थी। इस कार्रवाई का निस्तारण किए बगैर उन्हें किसी थाने-चौकी का प्रभार नहीं दिया जा सकता।
विभागीय जांच झेल रहे इंस्पेक्टर महेश जोशी के खिलाफ जांच रिपोर्ट डीआइजी को प्रेषित किए बगैर ही निरीक्षक महेश चंद्र जोशी को ऋषिकेश कोतवाल की जिम्मेदारी सौंपे जाने पर डीआइजी गढ़वाल रेंज ने एसएसपी देहरादून से जवाब तलब किया है।
यह है मामला
6 दिसंबर 2017 को तत्कालीन एसएसपी निवेदिता कुकरेती को हरिद्वार से लौटते वक्त रास्ते में जाम मिला, पता चला कि वहां विशेष श्रेणी दरोगा अशोक कुमार की ड्यूटी थी, लेकिन वह मौजूद नहीं थे। एसएसपी ने उन्हें आरटी सैट के माध्यम से ही लाइन हाजिर होने का आदेश दे दिया। इसके बाद अशोक कुमार न तो थाने पहुंचा और न ही पुलिस लाइन। पता चला कि अशोक कुमार शर्मा उससे कई पहले से ही अनुपस्थित चल रहा था।
अक्तूबर 2019 में शर्मा के बेटे के संबंध में एक मौखिक शिकायत तत्कालीन डीआईजी अरुण मोहन जोशी के पास आई। उन्होंने जब अशोक कुमार के बारे में जानकारी की तो पता चला कि वह तो लाइन हाजिर हो गया था, लेकिन अभी तक न तो उसकी लाइन में ही कोई एंट्री है और न ही थाने को कुछ मालूम।
इस मामले की विभागीय जांच सीओ डालनवाला को सौंपी गई। जांच में पाया गया कि थाना रायवाला ने अशोक कुमार की अनुपस्थिति में ही रायवाला से पुलिस लाइन जाना दर्शा दिया। जबकि, अशोक कुमार ने न तो लाइन में कोई आमद कराई और न ही अपनी अनुपस्थिति के बारे में कोई जानकारी दी। 31 जनवरी 2020 को अशोक कुमार सेवानिवृत्त भी हो गया। इस तरह गायब रहते ही उसने लगभग 25 माह का वेतन पुलिस महकमे से लिया। हालांकि, अशोक कुमार ने पुलिस लाइन में एक भी दिन अपनी आमद दर्ज नहीं कराई।
इस पर विभाग की ओर से अशोक कुमार को रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया गया। वहीं, तत्कालीन थाना प्रभारी इंस्पेक्टर महेश जोशी और मुंशी मनोज कुमार की लापरवाही सामने आई है। महेश जोशी ने लाइन रवानगी और अशोक कुमार की अनुपस्थिति के बारे में कोई जानकारी पुलिस अधिकारियों को नहीं दी। लापरवाही के लिए तत्कालीन एसएसपी ने निरीक्षक महेश जोशी और हेड मोहर्रिर मनोज कुमार को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी थी। हालांकि, कुछ समय बाद ही उन्हें बहाल कर दिया गया था।
वहीं देहरादून एसएसपी जन्मेजय खंडूरी का कहना है कि, जांच पूरी हो गई है। जांच अधिकारी ने लिखा है कि महेश जोशी के खिलाफ कोई आरोप नहीं बनते। ऐसे में हम किसी को बर्खास्त नहीं कर सकते। वह 1998 के दरोगा हैं। कोतवाल जा रहे थे तो उनकी सीट खाली हो रही थी। ऐसे में काबिलीयत और वरिष्ठता के आधार पर उन्हें ऋषिकेश कोतवाली का प्रभार सौंपा गया।