देहरादून: पिछले दिनों चर्चाओं में रहे अंतरधार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना के आदेश मामले में टिहरी के प्रभारी जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्ड़ियाल पर गाज गिर गई है। इस आदेश से असहज हुई प्रदेश सरकार के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मामले में जांच के आदेश दिए थे। शासन के निर्देश पर अब अधिकारी को हल्द्वानी समाज कल्याण निदेशालय में अटैच कर दिया गया है। घिल्ड़ियाल पर आरोप है कि उन्होंने योजना के संबंध में सोशल मीडिया पोस्ट डाली थी।
गौरतलब है कि, प्रदेश में अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले दंपतियों को पचास हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि दिए जाने के मामले ने तब तूल पकडा, जब राज्य सरकार की इस योजना के बारे में जानकारी देने के लिए घिल्डियाल ने पिछले महीने एक प्रेस नोट जारी किया। कई राज्यों की भाजपा सरकारों के ‘लव जिहाद’ पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की खबरों के बीच उत्तराखंड में अंतर-धार्मिक विवाह पर प्रोत्साहन राशि बांटे जाने पर मचे बवाल के बाद उत्तराखंड सरकार ने सफाई दी कि इस मसले पर जारी आदेश को ठीक करने की कार्रवाई की जा रही है। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने इस आदेश को निरस्त करने की बात कही थी।
वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड में इससे संबंधित नियमावली को जैसे का तैसा स्वीकार कर लिया गया था जिसमें ऐसे विवाह करने वाले दंपतियों को 10,000 रूपए दिए जाते थे। वर्ष 2014 में उत्तराखंड की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसमें संशोधन कर इस प्रोत्साहन राशि को बढाकर 50,000 कर दिया गया। अंतर-धार्मिक विवाह के अलावा अंतर्राज्यीय विवाह करने वाले दंपतियों को भी यह प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
गौरतलब है कि प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार ने दो वर्ष पहले राज्य में धर्म स्वतंत्रता कानून लागू किया। इसमें जबरन, प्रलोभन, जानबूझकर विवाह अथवा गुप्त एजेंडे के तहत धर्म परिवर्तन को गैर जमानती अपराध घोषित किया गया है।