चमोली: कोरोना वायरस का असर मेले त्यौहारों पर भी देखने को मिला है। लॉकडाउन के चलते चमोली जिले का प्रसिद्ध “नोठा कौथिग” इस बार स्थगित किया गया। आज बेहद सादगी के साथ चमोली के आदिबद्री में विधि विधान के साथ भगवान बद्रीनाथ की पूजा अर्चना कर भोग लगाया गया।
कोरोना के संकट को देखते हुये बिना गाजे बाजे के मालगुजार गुलाब सिंह पंवार के हाथों भगवान आदिबदरी नाथ को पूजा अर्चना के साथ नया अनाज का भोग लगाया गया। आदिबद्री मन्दिर के पुजारी चक्रधर थपलियाल ने बताया कि उनके पिता जी और उनकी पीढ़ी में पहली बार बिना नौठा नृत्य और बिना गाजे-बाजे के खेती के मालगुजार के हाथों नया अन्न चढ़ाया गया।
बता दें कि, हर वर्ष वैशाखी के बाद आने वाले पांचवे सोमवार को यह पर्व मनाया जाता है। इस बार 11 मई को होने वाले नौठा कौथिग को लॉकडाउन के चलते स्थगित करना पड़ा। मान्यता है कि वर्तमान बद्रीनाथ से पहले भगवान नारायण बद्रीविशाल की पूजा इसी धाम में होती थी।
क्या है मान्यताएं
प्राचीन मेला “नौठा कौथिग” को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। माना जाता है कि, जब तिब्बत के राजा ने चांदपुर गढ़ पर आक्रमण किया, तो यहां की जनता ने तिब्बत सरदार कुमामेर को कुछ इसी तरह लाठी-डंडों के साथ पीटकर मार भगाया था। तब से जीत का यह जश्न नौठा कौथिग के रूप में हर साल यहां मनाया जाता है।
दूसरी मान्यता है कि, जब इस क्षेत्र में इन मंदिर समूहों का निर्माण हुआ था और यहां पंवार और कत्यूरी वंश के लोग राजा हुआ करते थे। उनके द्वारा तिब्बत सरदार पर मिली विजय के बाद से ही इस परंपरा की शुरुआत हुई।
वहीं एक अन्य मान्यता ये भी है कि क्षेत्र में पैदा होने वाले अनाज को पहले आदिबद्री भगवान को चढ़ाने के लिए भी संघर्ष होता था। इस युद्ध में विजयी होने वाला सबसे पहले मंदिर में अपने खेत का अनाज चढ़ाता था।