देहरादून: आरटीओ देहरादून के स्थानांतरण का फर्जी आदेश जारी करने वाले अभियुक्त को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उक्त व्यक्ति को सहस्त्रधारा हैलीपैड के पास से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने बताया कि, मोटी धनराशि वसूलने के लिए उसने यह कदम उठाया था।
मामले के अनुसार, 26 जून को वादी दिनेश चन्द्र पटोई, सम्भागीय परिवहन अधिकारी, देहरादून द्वारा थाना कोतवाली नगर में लिखित तहरीर दी गयी कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर उनके स्थानान्तरण के सम्बन्ध में फर्जी आदेश प्रसारित किया जा रहा है, जिससे उनकी और विभाग की छवि धूमिल हो रही है।
उक्त लिखित तहरीर के आधार पर थाना कोतवाली नगर में मु0अ0सं0: 171/20 धारा: 469 भा0द0वि0 और 74 आईटी एक्ट का अभियोग पंजीकृत किया गया। अभियोग की गम्भीरता के दृष्टिगत पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून ने अभियोग के अनावरण हेतु तत्काल क्षेत्राधिकारी नगर के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया।
गठित टीम द्वारा उक्त आदेश के सम्बन्ध में वादी से जानकारी की गयी तो उनके द्वारा बताया गया कि उक्त आदेश उन्हें उनके प्रशासनिक अधिकारी संजीव कुमार मिश्रा ने 26 जून को भेजा गया था। संजीव कुमार मिश्रा से जानकारी करने पर उनके द्वारा उक्त आदेश सुधांशू गर्ग द्वारा भेजा जाना और सुधांशू गर्ग द्वारा उक्त आदेश उन्हें एक व्यक्ति कुलवीर नेगी द्वारा भेजा जाना बताया गया, जिस पर कुलवीर नेगी के सम्बन्ध में जानकारी करने पर उसका मोबाइल फोन एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही बन्द होना ज्ञात हुआ।
कुलवीर नेगी की तलाश के दौरान आज 1 जुलाई को उक्त व्यक्ति को सहस्त्रधारा हैलीपैड के पास से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसके द्वारा उक्त फर्जी आदेश को स्वंय के द्वारा जारी करना स्वीकार किया, जिसकी निशानदेही पर उसका लैपटाप, जिस पर उक्त फर्जी आदेश को बनाया गया था और मोबाइल फोन, जिसके माध्यम से उक्त फर्जी आदेश को सुधांशू गर्ग को भेजा गया था, जब्त किया गया।
अभियुक्त की पहचान कुलवीर सिंह पुत्र कुवंर सिंह निवासी ब्लाक नम्बर 02, वार्ड नम्बर 05, आर्यनगर, डालनवाला, देहरादून के रूप में हुई।
पूछताछ का विवरण
पूछताछ में अभियुक्त कुलवीर नेगी ने बताया गया कि उसने एचएनबी कैम्पस चम्बा से बीएससी की थी तथा उसके पश्चात कुछ समय तक कैप्री ट्रेड सैन्टर में उसके द्वारा मोबाइल शाॅप में भी कार्य किया गया। उसकी सुधांशू गर्ग से पुरानी मुलाकात थी, पूर्व में वह अपने राजनीतिक सम्पर्कों के माध्यम से अपने वाहन के नम्बर के सम्बन्ध में सुधांशू गर्ग से मिले थे। तब से उनकी आपस में बातचीत होती रही। कुछ समय पूर्व सुधांशु गर्ग को अपने प्रभाव में लेने के लिये मेरे द्वारा सुधांशू गर्ग से सम्पर्क कर अपने राजनीतिक पहुंच का हवाला देते हुए उनका स्थानान्तरण देहरादून कराने की बात की गयी तथा उसके एवज में उनसे कुछ सिटी बसों के परमिट करवाने की हामी भरवायी गयी।
आगे बताया कि, मैंने इन्टरनेट के माध्यम से पूर्व में हुए स्थानान्तरणो की छायाप्रति लेते हुए एक फर्जी आदेश बनाया और पूर्व आदेशों में बने हस्ताक्षरो की नकल कर उन पर फर्जी हस्ताक्षर किये। उक्त फर्जी आदेश को सुधांशू गर्ग को भेजने के पीछे मेरी मंशा थी कि, उन्हें उक्त आदेश के तैयार होने और उसे जारी करने के एवज में अधिकारियो को पैसा देने के नाम पर मैं उनसे मोटी धनराशि वसूल सकूं। मुझे जानकारी थी कि एक बार पैसा देनेे के बाद वह स्थानान्तरण के सम्बन्ध में पैसा देने की बात किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बता पायेंगे।